आई नोट , भाग 27
अध्याय-5
पहला दांव
भाग-1
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शाम को शख्स थका हारा अपने घर की और जा रहा था। उसके कंधे झुके हुए थे। आंखों और चेहरे से उदासी के भाव झलक रहे थे। वह सिढीया चढ़ा और आकर अपने घर की डोर बेल बजाई।
थोड़ी ही देर में मानवी ने घर का दरवाजा खोला। मानवी चेहरे से खुश और तरोताजा दिखाई दे रही थी। दरवाजा खोलने के बाद वो तुरंत पलटी और अपनी ही मस्ती में मगन किचन की तरफ चली गई।
शख्स ने यह देखा तो वह हैरानी से मानवी को देखने लगा। उसने अपने मन में कहा “अब इसे क्या हुआ, यह पागलों जैसा क्यों कर रही है, कहीं सुबह की लड़ाई ने इसे पागल तो नहीं कर दिया”
शख्स ने खुद ही दरवाजा बंद किया और शु रैंक के पास जाकर अपने जूते खोलें। जूते खोलने के बाद वह आकर सोफे पर बैठ गया। उसका ध्यान सामने मानवी की तरफ ही था जो अब खुद में ही गुनगुना रही थी।
मानवी ने पानी का गिलास भरा, गुनगुनाते हुए शख्स के करीब आई और उसे टेबल पर रख कर वापस किचन की तरफ चली गई।
शख्स ने यह देखकर और भी ज्यादा हैरत जताई, उसने एक बार पानी के गिलास की तरफ गौर से देखो, और एक बार मानवी की तरफ।
उसने मानवी से कहा “क्या कुछ हुआ है क्या, तुम इतनी खुश कैसे दिखाई दे रही हो”
“आपसे मतलब” मानवी ने किचन से एक नाराज बीवी की तरह जवाब दिया “आप तो रहो बस अपने लैपटॉप की दुनिया में, मैं तो कहती हूं मुझे तलाक दे दो और अपने उसी लैपटॉप से शादी कर लो”
“ओह... तो अभी भी तुम्हारे मन से वो लैपटॉप वाली बात निकली नहीं.... मगर इसके लिए तो तुम्हें गुस्सा होना चाहिए था... यह गाने गाना और खुश होने वाली बात दिमाग के पल्ले नहीं पड़ी।”
“पड़ेगी भी नहीं, गुस्से में किसी की बातों पर ध्यान दोगे तब पता चलेगा ना कौन क्या कह रहा था क्या नहीं।”
“अब तुम बताओगी भी... या बस मुझे सिर्फ यही कहती रहोगी कि मुझे गुस्से में क्या करना चाहिए क्या नहीं।” शख्स ने पानी का गिलास उठा लिया।
मानवी ने सामने से मुंह मरोड़ दिया “जाओ नहीं बता रही... कर लो क्या करना है।”
शख्स पानी पीने ही वाला था, मगर जैसे ही मानवी यह बोली उसने गिलास को कसकर पकड़ लिया। गिलास को कसकर पकड़ते ही उसने अपने मन में कहा “ऐसी बातें तो मत ही करो, मत कहो कर लो जो करना है, गुस्से में वैसे भी समझ नहीं आता मैं क्या कर रहा हूं क्या नहीं।” फिर उसने गहरी सांस ली और आंखें बंद कर पानी पी लिया।
शख्स ने गिलास टेबल पर रखा और धीमी चाल चलते हुए किचन की तरफ जाने लगा। किचन में जाकर उसने मानवी को पीछे से हग किया और प्यार बरसाता हुआ बोल “किसी की बीवी को अपने अपने पति से इतनी नाराजगी दिखाना अच्छी बात नहीं होती, बेचारा पति कभी-कभी फ्रस्ट्रेट भी हो जाता है।”
मानवी घुमी और कहा “इतना भी क्या फ्रस्ट्रेट होना कि अपनी पत्नी को थप्पड़ मार दो। आपने आज से पहले मुझ पर कभी हाथ नहीं उठाया, मगर आज पहली बार वह भी सिर्फ एक लैपटॉप के लिए।”
“मैं डर गया था मानवी। मेरे लैपटॉप में मेरी जिंदगी भर की मेहनत थी, उसमे मेरी कहानी थी, देर रात तक लिखता रहा तो बिना सेव किए ही सो गया, सुबह उठा और लैपटॉप नहीं दिखा तो मुझे लगा कहीं तुमने सीधे ही बैंक ऑप्शन ना दबा दिया हो, सिर्फ एक चीज से मेरी की गई मेहनत पर पानी फिर जाता, इसीलिए, इसीलिए मैं थोड़ा हद से बाहर चला गया था। तुम्हें तो पता है ना मुझे मेरी कहानियों से कितना प्यार है। मुझे क्या हर एक लेखक को कहानियां से बहुत प्यार होता है। कहानियों को लेकर अगर इस तरह का बुरा ख्याल आए तो हर एक के लेखक का दिमाग ऐसे ही खराब होगा।”
“तो कभी अपनी लेखक वाली दुनिया से बाहर निकलकर पत्नी की तरफ भी ध्यान दे लिया करो, मैं आपकी पत्नी हूं दुश्मन नहीं जो आप की कहानी को इस तरह से छेड़ कर खराब कर दूंगी। मैंने सुबह लैपटॉप खोलकर यह तक नहीं देखा वह चल रहा है या फिर बंद है, बस सीधे उठाकर उसे बेडरूम में रख दिया। वह भी इसलिए क्योंकि मुझे सफाई करनी थी।”
“हां हां मैं समझ गया, मानता हूं मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।” शख्स ने मानवी को माथे से चुमा “और मेरा यकीन मानो, आगे आने वाले दिनों में दोबारा ऐसा कभी नहीं होगा।”
“पक्का प्रॉमिस..” मानवी ने बच्ची की तरह कहा।
शख्स मुस्कुराया और जवाब दिया “हां पक्का प्रॉमिस।”
मानवी ने अपने पति को हग कर लिया, जबकि शख्स ने उसे। मानवी अलग हुई और कहा “मुझे शेक बनाने दो, फिर उसे पीते हुए आगे की बात करते हैं।”
“हां बिल्कुल।” शख्स ने मानवी को छोड़ा और वही किचन की शेल्फ पर बैठकर मानवी को शेक बनाते हुए देखने लगा।
मानवी ने मिक्सी चलाते हुए कहा “आपको पता है, कल जब मैंने देखा वह लड़की मिक्सी में अपने पिता की डेड बॉडी का ज्युस बनाने की कोशिश कर रही थी, तब घर आने के बाद मुझे मिक्सी को देख कर ही डर लगने लगा। ना तो मैंने रात को शेक बनाया, और ना ही दोपहर को, अब थोड़ी सी हिम्मत हुई तब जाकर मिक्सी को हाथ लगाया।”
“हां, उस लड़की का मिक्सी वाला सीन था ही डराने वाला। कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता कि मिक्सी में इस तरह से डेड बॉडी का जूस बनाया जा सकता है। मैं खुद एक लेखक हूं, मेरे दिमाग में भी कभी यह नहीं आता।”
“तो अब ले आना...” मानवी इतराती हुई मजाकिया अंदाज में बोली “किसी को मारना और फिर उसके डेड बॉडी का मिक्सी में जूस बना देना।”
शख्स मुस्कुराया “नहीं, यह तरीका लाश को ठिकाने लगाने का सबसे वाहियात तरीका है, मिक्सी के ब्लेड नॉर्मल होते हैं, वो इतने मजबूत नहीं होते कि किसी इंसान की हड्डियों को काट सके। इसलिए कभी भी इंसान की डेडबॉडी का जूस मिक्सी मे नहीं बनाया जाना चाहिए। हां अगर हम बड़े ग्रेंडर की बात करे तो बात अलग। उसमें जरूर इंसानी हड्डियों का कचुबऱ बन जाता है।”
मानवी हल्की मुस्कुराती हुई अपने पति की तरफ देखने लगी “आप तो बड़ा ज्ञान रखते हैं इन चीजों के बारे में।”
“हां लेखक हु ना, अगर मुझे नहीं पता होगा लाश ठिकाने कैसे लगाई जाती है तो किसे पता होगा।”
“अच्छा तो आप बता सकते हैं लाश ठिकाने लगाने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा होता है?”
शख्स ने बिना सोचे जवाब दिया “कत्ल वाली जगह से मीलों दूर जमीन में गाड़ देना, इससे बढ़िया तरीका और कोई नहीं हो सकता।”
मानवी ने यह सुना और सवाल करते हुए पुछा “मगर हम उसे मारकर वही नहीं छोड़ सकते?”
“छोड़ सकते हैं, मगर इसके बाद डिटेक्टिव और पुलिस का पंगा पड़ जाता है, अगर हम ऐसा करें भी तो हमें इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि हम किसी तरह का सबूत वहा ना छोड़े, और यह भी देखना पड़ता है कि उसके कत्ल के बाद उसका सीधा सीधा फायदा हमें ना हो, अगर ऐसा कुछ भी होता है तो पुलिस हमें एक या 2 दिन के बाद ही पकड़ लेगी।”
“और हम इन सब में सावधानी रखें तो..” मानवी शख्स की तरफ देखने लगी।
“तो पुलिस कातिल को कभी नहीं पकड़ सकती, जिंदगी भर नहीं, अगर किसी को कत्ल करने का सही तरीका आ जाए तो वह इंसान मेरी तरह किचन में बैठ कर अपनी बीवी के साथ इस तरह से लाश ठिकाने लगाने का एक्सपीरियंस भी साझां कर सकता है।”
मानवी ने इस बात को सुना और नजरअंदाज कर दिया। उसके नजरअंदाज करते ही शख्स ने एक हल्की मुस्कान दी। मानवी ने शेक बनाया, उसे दो गिलास में भरा, और फिर दोनों ही सोफे पर जाकर बैठ गए। शख्स वहां अखबार पढ़ने लगा था।
मानवी ने जूस पीते हुए कहा “अब मैं आपको बताती हूं मेरी खुशी का राज क्या था, मैं यह जो गुनगुना रही थी उसकी वजह क्या थी।”
“हां बताओ, मैं तो कब का सुनने के लिए बेकरार बैठा हूं। जरूर कोई जैकपोट लगा होगा जो तुम इतनी खुश दिखाई दे रही हो।”
“कुछ ऐसा ही समझ लो।” मानवी ने जवाब दिया और बताया “मैंने तुम्हें बताया था कि मैं आज इंटरव्यू के लिए जा रही हूं, मगर तब तुम गुस्से में थे और मेरी इस बात पर ध्यान नहीं दिया”
“ओके।” शख्स ने अखबार में ही घुम होते हुए कहा।
“तो इसके बाद में इंटरव्यू के लिए गई थी।”
अचानक शख्स अखबार पढ़ता पढ़ता रुक गया। उसने आंखें बंद की और मन में कहा “कूल डाउन, तुमने ही तो कहा था, तुम्हारी पत्नी की आजादी उसकी एक नई शुरुआत बनेगी, वह नई शुरुआत करेगी तो तुम भी आगे चलकर एक नई शुरुआत करोगे।” शख्स ने यह सोचने के बाद मानवी से कहा “आगे क्या हुआ...”
“मैं जिस कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए गई थी वह शहर की चौथी बड़ी कंपनी थी, आशीष एंड कंपनी, मैं तुम्हारे जाने के 1 घंटे बाद ही चली गई थी। इसके बाद वहां मुझे इंतजार करने के लिए कहा गया, फिर इंटरव्यू हुआ और मुझे रिजेक्ट कर दिया गया।”
शख्स के चेहरे पर प्रसन्नता भरी मुस्कान आ गई। वह मन में बोला “लगता है भगवान नहीं चाहता मेरी पत्नी मुझसे थोड़ा सा भी अलग हो। थैंक्स गाॅड” इतना बोल कर उसने मानवी से कहा “तुम फिकर मत करो, दोबारा किसी और कंपनी में ट्राई कर लेना”
“पूरी बात तो सुन लो। इसके बाद मुझे काफी दुख हुआ। मैं घर पर आई तो मेरा कहीं भी मन नहीं लग रहा था।”
“होता है। जब किसी इंसान को कोई चीज नहीं मिलती तो वह बहुत दुखी होता है।”
“हां, शाम तक मेरा यही हाल रहा, मगर फिर, फिर अचानक कंपनी के मालिक का फोन आया...” शख्स ने अखबार पढ़ना दोबारा बंद कर दिया “उसने मेरा हालचाल पूछा, फिर कहा कि आपको नौकरी के लिए रख लिया गया है, मैं हीं वो हूं जिनकी उन्हें जरूरत है, 60,000 सैलरी ऑफर की है, एक फ्लेट भी दिया जा रहा है जहां फाइव स्टार फैकेल्टी होगी।” मानवी कहते-कहते खुश होती जा रही थी “मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा इतनी बड़ी जोब मुझे मिल गई। वह भी एक बड़ी कंपनी में। मुझे तो इस बात पर भी यकीन नहीं हो रहा कि खुद कंपनी के मालिक ने मुझे फोन। तुम नहीं जानते यह कितनी खुशी वाली बात है। आई कांट कंट्रोल दिस जोएनेस।”
जैसे-जैसे मानवी बोल रही थी वैसे वैसे शख्स किसी गहराई में खोता जा रहा था। काफी ज्यादा गहराई में। गहराई में खोने के बाद उसने मानवी के हंसते खेलते चेहरे की तरफ देखा और मन में कहा “कंट्रोल में रहना सीखो मानवी, कंट्रोल में। इतना ज्यादा खुश होना अच्छी बात नहीं। अभी तुम नौकरी पर गई भी नहीं और ऐसा करने लग गई, अगर ऐसा करोगी तो मुझे दोबारा सख्त निर्णय लेने पड़ेंगे। और 60,000 सैलरी!! यह कंपनी का ओनर च-#@;; है क्या। मैं खुद 25000 कमाता हूं, फिर तुम्हें। नहीं नहीं! मैं यह नहीं कह रहा कि तुम नही कमा सकती। मगर किसी भी प्राइवेट कंपनी में यूं शुरुआत से ही इतना अच्छा सैलरी पैकेज नहीं मिलता। हो ना हो, दाल में कुछ तो काला है। कुछ तो....।” वह मानवी को और ज्यादा गौर से देखने लगा “किसी अमीर बिजनेसमैन का दिल तो क्या तुम पर आ सकता है, उसके लिए लड़कियों की कमी नहीं होगी....फिर..!!.. आशीष एंड कंपनी, आखिर चाहते क्या हो तुम...”
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